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यह मेरी बेटी का छायाचित्र है। |
सरकारी अस्पताल में जब
माँ ने बच्चे को जन्म
दिया
उसने देखा
उसकी कोख से
बेटी ने जन्म लिया
उसे अपने भाग्य पर
विश्वास न हुआ
उसने अपने भाग्य को
रोकर कोसना शुरू किया
हे भगवान मेरे भाग्य में
बेटी ही लिखी थी क्या
बाहर तो सब बेटे की
आस लगाए बैठे हैं
क्या कहुँगी मैं सबसे
मैंने बेटी को जन्म दिया
शर्म से मेरी निगाहें
अब उठ नहीं पाएँगी
सास-ससुर पति के आगे
मेरी साँसें भी रूक जाएँगी
तभी एक नर्स ने आकर
मुझे झकझोर दिया
बोली, क्या हुआ अरे पगली
क्या तू एक बेटी नहीं
क्या मैं किसी की बेटी नहीं
अगर हमारे माँ-बाप भी
इसी तरह आँसू बहाते तो
हमारे वजूद भी आज
बताओ कैसे मिल पाते
बेटियों को समाज ने
एक श्राप बना रखा है
जबकि बेटियों ने तो
दो परिवारों में
दिया जलाए रखा है
सम्मान बनाए रखा है
अरे पगली
इतना मत रो अपने भाग्य पर
तेरा भाग्य तो भगवान ने
बहुत रच के बनाया है
तुझे बेटी देकर
तेरा गौरव बढ़ाया है
इतना सुनकर उसने
अपने आँसू पोंछ डाले
बेटी को गले लगाया
और अपना दूध पिलाया
जैसे ही बेटी का
माँ से स्पर्श हुआ
माँ ने बेटी से
तभी यह वादा किया
मेरी बच्ची तुझसे दुर्व्यवहार
न करने दूँगी किसी को
अब न रोऊँगी मैं खुद
न रोने दूँगी तुम्हीं को
मित्रों गर जो बेटी
जन्म ले आपके घर
तो आँसू न बहाना
सर का बोझ समझकर
न उसको ठुकराना
बेटी को गले लगाकर
उसका सम्मान बढ़ाना।© सर्वाधिकार सुरक्षित। लेखक की उचित अनुमति के बिना, आप इस रचना का उपयोग नहीं कर सकते।
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