एक दिन हमको राह में
मिल गई यूं जिन्दगी
हमने उसको धर दबोचा
आज पकड़ में आई जिन्दगी
हमने पूछा ये बताओ
कहां से आ रही तुम जिन्दगी
कहां से आ रही तुम जिन्दगी
चुपचाप थी वो, कुछ न बोली
सिर झुकाए थी जिन्दगी
मैं अचम्भित में हुआ
चुपचाप उसको देखकर
चुपचाप उसको देखकर
हृदय में उथल-पुथल मचाती रही
सभी की परेशानियां बढ़ाती रही
नाच नचाती थी सभी को
आज क्यों निस्तब्ध खड़ी
आज क्यों निस्तब्ध खड़ी
मैंने पूछा जिन्दगी क्या
तेरी जिन्दगी भी परेशानियों में घिरी
इतना कहना था कि
जिन्दगी फूट-फूटकर रो पड़ी
जिन्दगी फूट-फूटकर रो पड़ी
और बोली, क्या बताऊं अरे इंसान
कैसे-कैसे इंसानों के आज मैं पल्ले पड़ी
इंसानों के कारण ही आज मुझे
इस कदर रोना पड़ा
इस कदर रोना पड़ा
इंसान ने जो अपना दोष, मेरे सिर पर मड़ दिया
इनके कारण ही मुझे आज समस्याओं से घिरना पड़ा
इंसान की इतनी ख्वाहिशें हैं
मैं भला अब क्या करूं?
मैं भला अब क्या करूं?
ये भी दे दो, वो भी दे दो
हाय-हाय करता फिरे
जो न हो पाए पूरी तमन्ना
तो इसके लिए मैं बदनाम हूं
तो इसके लिए मैं बदनाम हूं
जिन्दगी मेरी खराब है
दुनिया में कहता फिरे।
जिन्दगी को इंसान ने अपनी खुद
समस्याओं से है भर दिया
समस्याओं से है भर दिया
दोष देता जिन्दगी को
जिन्दगी तूने मुझे क्या-क्या दिया
जो भी दिया है जिन्दगी ने
गर तू उससे संतुष्ट है
गर तू उससे संतुष्ट है
ख्वाहिशों पर लगा ले बंदिशे गर
तो मैं भी खुश हूं, तू भी खुश है
पहले के इंसान ने
अपनी इच्छाओं को है कम किया
अपनी इच्छाओं को है कम किया
जो मिला खुशी से लिया और
खुश होकर वो जिया
और ज्यादा, ज्यादा-ज्यादा
पाने की फितरत जो है, आज के इंसान में
पाने की फितरत जो है, आज के इंसान में
घर दिया भगवान ने तो, सोफासेट चाहिए
सोफा सेट जो आ गया तो, बैड भी तो चाहिए
ख्वाहिशें इंसान की होती नहीं, कभी भी कम
न मिले तो जिन्दगी को कोसता वह हरदम
न मिले तो जिन्दगी को कोसता वह हरदम
जिन्दगी को तूने अपनी, बेकार इतना कर लिया
खुद भी रोता है पकड़ सिर, मुझको भी रोना पड़ा
ज्यादा ख्वाहिशें करके जीवन, नर्क अपना मत बना !
जो दिया भगवान ने, उसको सर-माथे अपने लगा !!
जो दिया भगवान ने, उसको सर-माथे अपने लगा !!
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नए बलॉग के लिए अवधेश जी को बधाई हो, क्या खूब लिखते हैं आप।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मसूद जी।
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