परिवर्तनशीलता प्रकृति का शास्‍वत नियम है, क्रिया की प्रक्रिया में मानव जीवन का चिरंतन इतिहास अभिव्‍यंजित है।

शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

नया पेरिस

आज हमसे फिर किसी ने पक्‍का वादा कर लिया,
दिल्‍ली की सड़कों को पेरिस हम बनाएंगे।

मंडियां हटाकर, बिजली-पानी के बिल बढ़ाकर
पैट्रोल-डीजल की कीमत में इजाफा कर
महंगाई को पूर्ण बहुमत से दिल्‍ली में लाएंगे।

गरीबों की बस्तियों पर बुलडोजर चलाकर
ऊंची बिल्डिंग, पार्क तथा स्‍वीमिंग पूल बनाएंगे।

इन सभी अत्‍याचारों से घबराकर
आधे गरीब दिल्‍ली छोड़कर भाग जाएंगे
कुछ यहीं मलबों में दफन हो जाएंगे।

इस नए पेरिस में सिर्फ दोस्‍तों
धनाढ्य, ऑफिसर और मिनिस्‍टर ही रह जाएंगे।

बस यही रह जाएंगे!
बस यही रह जाएंगे!!

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गुरुवार, 28 जुलाई 2016

लैटर पोस्ट कभी मत करना


वक़्त ने कमाल किया, उनसे हमें मिला दिया
मुलाकात हुई मगर, अफसोस की बात थोड़ी हुई
फिर मिलने का वादा कर, हमसे वो विदा हुई
उधर उनकी हालत खराब, इधर अपनी नींद खराब हुई
जब रहा न गया तो हमने, उन्हें एक लैटर  पोस्ट किया
मिलने के लिए उन्हें, एक रेस्टोरेन्ट में प्रपोज किया
अगले दिन जब हमने, रेस्टोरेन्ट में उछल कर प्रवेश किया
सामने देख उनके बाप को, दिल ने रूकने का संकेत किया
उनके बाप की त्यौरी, हमें देख चढने लगी
हाथ में पकड़ी छड़ी, हमारी तरफ बढ़ने लगी
फिर जो हालत हुई यारो, वो बताई नहीं जाती
वो मार पड़ी यारो, भुलाई नहीं जाती
मेरी मानो तो प्यार, प्यार जरा कम ही करना
कर भी लिया है,  तो ठीक है
मगर लैटर पोस्ट कभी मत करना। 

बुधवार, 27 जुलाई 2016

पराई थी, हूं, रहूंगी

साभार

एक स्त्री के कदम, जब पड़े
अपने विवाहित संसार में,
उसने सभी को स्वीकारा
अपने पति के परिवार में।

सास-ससुर, नंद, देवर

जेठ-जेठानी और पति
पति के रिश्तेदार, सगे-संबंधी
सभी से जुड़ी, एक ही तार में।

वह सभी को खुश करने की

कोशिश में लगी रहती है, पर
नाकाम रह जाती है, नए परिवार में
नाराजगी दिखती है, सभी के व्यवहार में।

सभी ने कहा, बहु हमारी

मन की नहीं आई
तभी तो अब तक कोई खूबी
हमें नजर नहीं आई।

पर शायद किसी को

यह नहीं पता होगा
हर स्त्री में यह खूबी
दी है भगवान ने।

जिस परिवार में, जन्मी पली-बढ़ी

उसे पलभर में छोड़ चली
आकर मिल गई, एक नए संसार में।

स्त्री की इस मनोदशा को

कोई कभी समझ नहीं पाएगा
किस मन से छोड़ा उसने मां-बाप का घर
और आई अपने नए परिवार में।

जो कभी बेटी, बहन और दीदी थी

आज केवल बहु, भाभी और पत्नी बनी
प्यार से कर्तव्यों को निभाती है
फिर भी किसी के मन में बस नहीं पाती है

न जाने क्यों बहु को लोग 

बेटी, बहन और दीदी बना नहीं पाते हैं
वो पराई थी, पराई है और
पराई ही रह जाती है।

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